आज की सत्ता
गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर उत्तर प्रदेश के पूर्व आईएस तपेंद्र शाक्य का बयान आया की कुशवाहा मौर्य शाक्य समाज के पूर्वजो का गृह मंत्री ने संसद भवन में अपमान किया सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए कहा की वह ऊँची जाति के नही थे।
आज की सत्ता उत्तर प्रदेश : पूर्व आईएस / सम्यक पार्टी के अध्यक्ष तपेंद्र शाक्य ने एक बयान जारी कर कहा की देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद भवन में यह बात कही कि चन्द्रगुप्त मौर्य ऊंची जाति के नहीं थे। श्री शाक्य का कहना है केंद्र सरकार में काबीना मंत्री हैं और वक्तव्य भी संसद भवन में दिया गया है। और देश के प्रधानमंत्री चुप बैठे है। इस वक्तव्य की कटु निन्दा तो की ही जा सकती है। क्योंकि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा वक्तव्य उनकी मनुवादी मानसिकता दर्शाती है। साथ ही, यह मांग भी की जाती है कि कृपया गृहमंत्री जी ऊँची जाति को परिभाषित भी करें।
यह भी स्पष्ट करें कि देश के विधान में ऊँची जाति कहाँ परिभाषित है यह ऊँची जाति कौन हैं और क्यों हैं और इसके उलट नीची जाति कौन हैं और क्यों है?
इस देश में अखंड भारत का सपना महामानव बुध्द ने देखा और अखंड भारत की स्थापना की नींव नाईं समाज में जन्मे राष्ट्र के एक परम वीर नायक एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी महापद्मनंद ने रखी । राष्ट्रनायक चंद्रगुप्त मौर्य ने उस प्रक्रिया को अंतिम परिणीति की सीमा तक पहुँचाया और सम्राट अशोक ने राजनीतिक रूप से अखंड राष्ट्र को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का स्वरूप प्रदान किया।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि अखण्ड भारत के महानायकों का अपमान वे कर रहे हैं ,जो राष्ट्रीय अखंडता और अखण्ड भारत का गाना रातदिन गाते हैं और जो ऐसे संवैधानिक पद पर विराजमान हैं , जिनसे विधिक ज्ञान और संजीदगी की अपेक्षा की जाती है। इनका राष्ट्रवाद और अखंड भारत का नारा सिर्फ मुखौटा है। असली चेहरा मनुवाद का है।
देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर उत्तर प्रदेश के पूर्व आईएस तपेंद्र शाक्य का बयान आया की कुशवाहा मौर्य शाक्य समाज के पूर्वजो का गृह मंत्री ने संसद भवन में अपमान किया सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए कहा की वह ऊँची जाति के नही थे।
आज की सत्ता उत्तर प्रदेश : पूर्व आईएस / सम्यक पार्टी के अध्यक्ष तपेंद्र शाक्य ने एक बयान जारी कर कहा की देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद भवन में यह बात कही कि चन्द्रगुप्त मौर्य ऊंची जाति के नहीं थे। श्री शाक्य का कहना है केंद्र सरकार में काबीना मंत्री हैं और वक्तव्य भी संसद भवन में दिया गया है। और देश के प्रधानमंत्री चुप बैठे है। इस वक्तव्य की कटु निन्दा तो की ही जा सकती है। क्योंकि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा वक्तव्य उनकी मनुवादी मानसिकता दर्शाती है। साथ ही, यह मांग भी की जाती है कि कृपया गृहमंत्री जी ऊँची जाति को परिभाषित भी करें।
यह भी स्पष्ट करें कि देश के विधान में ऊँची जाति कहाँ परिभाषित है यह ऊँची जाति कौन हैं और क्यों हैं और इसके उलट नीची जाति कौन हैं और क्यों है?
इस देश में अखंड भारत का सपना महामानव बुध्द ने देखा और अखंड भारत की स्थापना की नींव नाईं समाज में जन्मे राष्ट्र के एक परम वीर नायक एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी महापद्मनंद ने रखी । राष्ट्रनायक चंद्रगुप्त मौर्य ने उस प्रक्रिया को अंतिम परिणीति की सीमा तक पहुँचाया और सम्राट अशोक ने राजनीतिक रूप से अखंड राष्ट्र को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का स्वरूप प्रदान किया।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि अखण्ड भारत के महानायकों का अपमान वे कर रहे हैं ,जो राष्ट्रीय अखंडता और अखण्ड भारत का गाना रातदिन गाते हैं और जो ऐसे संवैधानिक पद पर विराजमान हैं , जिनसे विधिक ज्ञान और संजीदगी की अपेक्षा की जाती है। इनका राष्ट्रवाद और अखंड भारत का नारा सिर्फ मुखौटा है। असली चेहरा मनुवाद का है।
देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा
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