सपाक्स की क्रांति सभा ने बिगाड़े चुनावी समीकरण,औंधे मूँह गिरे मीडिया के भी सर्वे

राजेश शर्मा  (भोपाल एमपी)  


एससी एसटी एट्रोसिटी एक्ट मे संशोधन एंव प्रमोशन मे आरक्षण के विरोध मे खुलकर सामने आए सपाक्स ने रविवार को विधानसभा चुनाव मे उतरने की घोषणा कर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा एंव कांग्रेस को मुसीबत मे डाल दिया है।
रविवार को सपाक्स की भोपाल मे आयोजित रैली एंव क्रांति सभा मे करीब 35-40 हजार "माई के लाल" मौजूद रहे। सपाक्स के संस्थापक हीरालाल त्रिवेदी ने राजनितिक पार्टी गठित कर चुनाव मैदान मे उतरने की घोषणा मंच से की।वहीं  करणी सेना के संस्थापक लोकेन्द्रसिंह कालवी ने मंच पर दहाड़ते हुए कह डाला कि हमारी बात जो नहीं मानेगा वह मध्यप्रदेश राजस्थान पर राज नहीं कर पाएगा। इससे साफ तौर पर जाहिर है कि
सपाक्स यदि अगले चुनाव मे मैदान थामता है तो चुनावी समीकरण बिगड़ना लगभग तय है। वैसे तो भाजपा एंव कांग्रेस दोनों ही दलों को नुकसान पहुंचेगा लेकिन ज्यादा नुकसान भाजपा को ही होगा क्योंकि आज भोपाल पहुंचे लोगों मे भाजपा के प्रति नाराजगी ज्यादा दिखाई दे रही थी ज्यादातर लोगों ने सफेद रंग की टोपियाँ धारण कर रखी थी जिस पर लिखा था  "माई के लाल" इसका साफ अर्थ है कि वे शिवराज द्वारा पिछले दिनों दिए गए बयान का विरोध टोपी पर लिखे स्लोगन से दे रहे हैं । सपाक्स का दावा है कि हमारे साँथ 27 संगठन हैं जिसमे राजपूत करणी सेना,श्री परशुराम सेना,अभा ब्राह्मण समाज,प्रगतिशील ब्राह्मण समाज,क्षेत्रीय महासभा,पिछड़ा वर्ग संगठन,वैश्य समाज,प्रतिभा बचाव संगठन,युवा संगठन,महिला संगठन आदि शामिल हैं। अब सवाल यह उठता है कि इतने सारे संगठनों का क्या वास्तव मे ही सपाक्स को भरपूर सहयोग मिल पाएगा? और यदि ऐसा हुआ तो यह बात भी उतनी ही सच है कि आगामी विधानसभा चुनाव मे भाजपा को लेने के देने जरुर पड़ेंगे। वहीं कांग्रेस पर भी सपाक्स के ग्रहण का आंशिक असर दिखाई देने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। अगला चुनाव जातीगत समीकरण से लबरेज होगा। कौन कितना फायदे मे कौन कितना नुकसान मे होगा इसका फैसला तो पब्लिक ही करेगी लेकिन भोपाल क्रांति सभा ने रविवार को प्रदेश की राजनीति मे भूचाल खड़ा कर दिया है वहीं मीडिया के भी अब तक के तमाम चुनावी सर्वे औंधे मूँह गिर पड़े हैं।
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