राजेश शर्मा, सीहोर
भारत वर्ष के चार गणेश धाम मे से एक है सीहोर (मप्र) का श्री चिंतामन गणेश मंदिर जो अत्यधिक प्राचीन है साँथ ही स्वयंभू भी इस मंदिर के धार्मिक इतिहास से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। श्रद्धालुओं कहते हैं कि इस मंदिर मे मत्था टेंकने वाले भक्तों की समस्त चिंताएं भगवान गणेश खुद हर लेते हैं। और मंदिर मे उल्टा स्वास्तिक माँडनें वालों के काम सीधे हो जाते हैं।
भारत वर्ष मे चार गणेश धाम हैं , दो मध्यप्रदेश और दो राजस्थान मे हैं इनमें से एक अति प्राचीन विक्रमादित्य कालीन ऐतिहासिक( स्वयंभू ) श्री चिंतामन सिद्ध गणेश मंदिर सीहोर में स्थित है। यह मंदिर सीहोर के वायव्य (पश्चिम-उत्तर कोण) में स्थित है।
दो हजार वर्ष पूर्व उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य परमार वंश के राजा ने मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में स्थापित श्रीगणेश जी की मूर्ति खड़ी हुई है। मूर्ति जमीन के अंदर आधी धंसी हुई है, इसलिए आधी मूर्ति के ही दर्शन होते हैं। यह स्वयंभू प्रतिमा है। इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 155 में महाराज विक्रमादित्य द्वारा गणेशजी के मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र के अनुरूप करवाया गया था।
विक्रमादित्य के पश्चात मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सभा मंडप का निर्माण बाजीराव पेशवा प्रथम ने करवाया था। शालीवाहन शक, राजा भोज, कृष्ण राय तथा गौंड राजा नवल शाह आदि ने मंदिर की व्यवस्था में सहयोग किया। नानाजी पेशवा विठूर आदि के समय मंदिर की ख्याति व प्रतिष्ठा में वृद्धि हुई है।
चिंतामन सिद्ध गणेश जी होने से एवं 84 सिद्धों में से अनेक तपस्वियों ने यहां सिद्धि प्राप्त की है। बुज़ुर्ग बताते हैं कि मंदिर में विराजित गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में हीरे जड़े हुए थे। 150 वर्ष पूर्व तक मंदिर में ताला नहीं लगाया जाता था तब चोरों द्वारा मूर्ति की आंखों में लगे हीरे चोरी कर लिए गए थे तथा गणेशजी की प्रतिमा की आंखों में से 21 दिन तक दूध की धारा बही थी।
तब भगवान गणेशजी ने पुजारी को स्वप्र देकर कहा कि में खंडित नहीं हुआ हूं। तुम मेरी आंखों में चांदी के नेत्र लगवा दो। तभी से भगवान गणेश की आंखों में चांदी के नेत्र लगाए गए हैं। इस दौरान विशाल यज्ञ का आयोजन किया तथा जन-जन में उनके प्रति आस्था बढ़ गई।
फलस्वरूप गणेशजी के जन्म उत्सव के उपलक्ष्य में यहां तभी से मेला आयोजित किया जाने लगा जो कि निरंतर प्रतिवर्ष गणेश जन्मोत्सव के दौरान लगता है। ऐतिहासिक चिंतामन गणेश मंदिर पर प्रदेश भर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं।
मान्यता अनुसार श्रद्धालु भगवान गणेश के सामने अरदास लगाकर मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और मन्नत पूर्ण होने के पश्चात सीधा स्वास्तिक बनाते हैं।
चिंतामन गणेश मंदिर पर परंपरागत रुप से गणेश चतुर्थदशी के दौरान दस दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसकी शुरुआत आज से हो गई है ।यहां पर भोपाल, इंदौर,उज्जैन,देवास,राजगढ़ , नरसिंहगड़, शाजापुर, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा सहित प्रदेश के बाहर से भी श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। गणेशोत्सव के दौरान पूरे दस दिन भक्तों की आवाजाही को देखते हुए प्रशासन ने विशेष पुलिस बल मंदिर के आसपास तैनात किए हैं।
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