भागते नज़र आए भय के भूत
          प्राचीन कालियादेव मेला संपन्न  . . .



कालियादेव से हुकुमसिंह मेवाड़ा,

जिला मुख्यालय सीहोर से 40 किलोमीटर दूर एंव इछावर के सघन जंगल मे पितृमोक्ष अमावस्या की रात लगने वाले प्राचीन कालियादेव मेले का मंगलवार दोपहर तीन बजे समापन हो गया। आस्था और अंधविश्वास से ओतप्रोत इस मेले मे करीब 35 हजार लोगों ने शिरकत की। रात एक बजे मेला पूरे शबाब पर था। मेले मे पड़िहार अपनी तंत्र विद्या से उन लोगों की मुश्किलें भी दूर करते देखे गए जिन्हें ऊपरी बाधा का असर बताया जाता था। बड़ी संख्या मे आदिवासी लोग भी मेले मे शरीक हुए और उन्होंने घरेलु सामान की जमकर खरीदारी की। सीप नदी के तट पर स्थित चमत्कारिक  कुंड मे सुबह-सुबह लोगों ने डुबकियाँ लगाते हुए मेले की परंपरा को कायम रखा।मंगलवार को दोपहर तीन बजे तक मेला सुचारु रुप से जारी रहा मेले मे असुविधाजनक परिस्थिति से निपटने के लिए प्रशासन द्वारा  विशेष व्यवस्था की गई थी लेकिन प्रकाश और पेयजल की व्यवस्था नकाफी सिद्ध हुई।बस गनिमत यही रहा कि कोई अप्रिय घटना घटित नहीं हुई।कुल मिलाकर अंधविश्वास और आस्था से ओतप्रोत उक्त मेले का दोपहर तीन बजे समापन हो गया।

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