कांग्रेस सरकार तो मुख्यमंत्री होंगे कमलनाथ!


राजेश शर्मा 

हालांकि पूरी पिक्चर 11 दिसंबर को ही साफ होगी लेकिन सट्टा बाजार के रुझानों और मीडिया के पिछले दरवाज़े से निकलती रिपोर्टों के आधार पर सरकार बनने के सपने देखना कांग्रेस ने शुरु कर दिया है वहीं मुख्यमंत्री पद के लिए भी समीकरण बदलने लगे हैं।
15 वर्ष से सत्ता सुख से वंचित कांग्रेस को लगने लगा है कि उसे भी अब शिवराज की तरह जमीनी मुख्यमंत्री चाहिए जो कायदे मे भाजपा से 15 वर्ष  का बदला 15 वर्ष से ले सके और लोकसभा चुनाव से पहले-पहले कांग्रेस वचन-पत्र के वचनों को पूरा करते हुए उसे सीना तान कर जनता के बीच लहरा सके।
कमलनाथ द्वारा मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करने के बाद कांग्रेस मे सियासती समीकरण गड़बड़ाने लगे हैं भोपाल मे आगामी 6 दिसंबर को कांग्रेस द्वारा 230 प्रत्याशियों की बुलाई बैठक को राजनिति के विशारद मुख्यमंत्री पद से जोड़कर देख रहे हैं इन विशारदों का मत है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी ज्योतिरादित्य सिंधिया से दूर और कमलनाथ के नजदीक पहुंचती जा रही है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि कांग्रेस के अन्दरूनी समीकरण को संतुलित करने की जो क्षमता कमलनाथ मे है वह सिंधिया मे नहीं!
प्रदेश कांग्रेस के अन्य शीर्ष नेता दिग्विजयसिंह,अजयसिंह,सुरेश पचौरी,अरुण यादव की नजर फिलहाल मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटकर प्रदेश अध्यक्ष पद पर टिकी बताई जा रही है ।वैसे भी अरुण यादव को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के खिलाफ चुनाव लडा़ने के बदले उन्हें कांग्रेस से तोहफा मिलने की उम्मीद को नकारा नहीं जा सकता। विवादित बयानबाजी के शौकिया दिग्विजयसिंह की इस पूरे चुनाव के दौरान खामोशी भी खास मायने रखती है और कई नए समीकरणों को भी जन्म देती है।
11 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के बाद सूबे मे कांग्रेस भाजपा दोनों ही दलों के अंदर की राजनिति बाहर आ जाएगी। दोनों का एक-एक कदम आगे सन् 2019 मे होने वाले लोकसभा चुनाव के मुद्देनजर उठने वाला होगा ऐसे मे सेमीफाइनल की हार-जीत फाइनल फाइट को प्रभावित करेगी इसमे कोई दो राय नहीं हैं। फिलहाल भैंस आई नहीं और कांग्रेस मे दरवाज़ा तौड़ने के प्रयास शुरु हो गए हैं सिंधिया के नीचे की कुर्सी खिसकाने मे कांग्रेस के अन्य कद्दावर नेताओं के प्रयास भी कमतर नहीं हैं। वर्तमान मे जो समीकरण बन रहे हैं वह कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद के नजदीक लाते जा रहे हैं!सिंधिया समर्थकों की खामौशी और नाथ समर्थकों का उत्साह इस बात की पुष्टी भी करता है!
लेकिन भारी मतदान, सिक्के का वह दूसरा पहलू भी है जो भाजपा के जीत का चौका जड़ने की संभावना को जिंदा रखे हुए है क्योंकि विकास के ऋण को चूकता करने की नीयत से यदि मतदाता पोलिंग बूथ तक पहुंचा है तो सभी समीकरण धरे के धरे रह जाएंगे और भाजपा लगातार चौथी बार सत्ता पर काबिज हो जाएगी।

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