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हाल-बेहाल इछावर अस्पताल के मर्ज की आखिर दवा कहां !!
डाक्टरों की कमी के चलते इछावर अस्पताल के हाल- बेहाल,
स्टाफ-कमी की बिमारी से ग्रसित इछावर अस्पताल का सरकार के पास कोई इलाज नहीं,
पैरामेडिकल स्टाफ भी कम,
व्यवस्थाएं चरमराईं,
दो दशक से स्थिति जस-की-तस,
कभी भी बिगड़ सकती कानून व्यवस्था,
राजेश शर्मा
एमपी मीडिया पाइंट
पिछले दो दशक से इछावर अस्पताल के हाल-बेहाल हैं स्टाफ की कमी के कारण अस्पताल की तबियत लम्बे समय से सीरियस चल रही है मात्र दो डाक्टर के भरोसे पूरे इछावर ब्लाक के मरीज हैं आए दिन अस्पताल मे इलाज को लेकर अफरा-तफरी का माहौल निर्मित हो जाता है जिसे संभालना दो डाक्टरों के बलबूते की बात नहीं, हालात यह हैं कि प्रतिदिन औसतन 300 मरीज ओपीडी मे इलाज के लिए पंजीकृत होते हैं। आईपीडी के मरीजों की संख्या 30 रहती है वहीं 5-6 महिलाओं की डिलीवरी भी रोजाना इछावर अस्पताल मे हुआ करती है ऐसे मे अब अस्पताल की कानून-व्यवस्था के लिए भी खतरा पैदा होता नज़र आने लगा है।
समस्या के समाधान मे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दीवड़िया मे पदस्थ डा अंकित चांडक को हफ्ते मे तीन दिन के लिए इछावर अटैच किया जाता है जो नाकाफी है क्योंकि उधर डाक्टर की गैरमौजूदगी के कारण दीवड़िया अस्पताल की तबियत बिगड़ जाती है।
दो दशक पहले जब आज की अपेक्षा मरीजों की संख्या आधी हुआ करती थी तब इछावर अस्पताल मे 7 डाक्टर पदस्थ थे जिनमे सर्जन,फिजि़शियन,डेंटिस्ट,गायनोलांजिस्ट भी शामिल थे लेकिन धीरे-धीरे सभी का ट्रांसफर हो गया और मात्र दो चिकित्सक डा बीबी शर्मा एवं डा आरएस वर्मा रह गए जो आज भी अस्पताल मे रहकर सेवाएं दे रहे हैं। इनमे से भी एक डाक्टर वर्मा ब्रेन हेमरेज की बीमारी से जूझ रहे हैं और राइटर के माध्यम से मरीजों का पर्चा बना रहे है। ऐसे मे पूरा भार डाक्टर बीबी शर्मा के कंधों पर आ गया है वही बीएमओ का भी पदभार संभाले हुए हैं कई मर्तबा तो ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है कि अस्पताल मे एक भी डाक्टर नहीं रहता इमरजेंसी के दौरान अस्पताल के अन्दरूनी और बाहरी दोनों हालातों को संभालना मुश्किल हो जाता है मरीजों के परिजन अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं जो डाक्टर एवं मौजूदा स्टाफ के लिए असहनीय हो जाता है और कई दफा बीच-बचाव तक की नौबत खड़ी हो जाती है।जानकारी अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इछावर मे चिकित्सक के 4,स्टाफ नर्स के 4,एएनएम के 2,डाटा एंट्री आपरेटर के 2,वार्ड वाय के 2, एवं फार्मसिस्ट,लेब टेक्निशियन,लेब असिस्टेंट,ड्रेसर,आया,दाई के एक-एक पद वर्षों से रिक्त हैं इन पदों की पूर्ति के लिए नागरिकों ने कई मर्तबा स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया यही नहीं जब भी विभाग के उच्चाधिकारियों का निरीक्षण दल इछावर अस्पताल पहुंचा तो लोगों व उपस्थित मरीजों के परिजनों ने स्टाफ की कमी के बारे मे उनसे बात कही लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ हांसिल नहीं हुआ।
नागरिकों ने मप्र शासन के तत्कालीन मंत्री एंव वर्तमान विधायक करणसिंह वर्मा(भाजपा) पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल(कांग्रेस) को भी अस्पताल मे स्टाफ कमी की समस्या से अवगत कराया लेकिन दोनो ही जनप्रतिनिधि कुछ भी नहीं कर पाए और अस्पताल के विषय मे जन समस्याएं अब भी यथावत हैं।
मजेदार बात यह है कि सीहोर जिले मे इछावर ही एकमात्र ऐसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है जहां औसतन मरीजों की संख्या सर्वाधिक है और डाक्टरों की संख्या अपेक्षाकृत बेहद कम है। प्रतिदिन औसतन 300 की ओपीडी और 30 आईपीडी वाले इछावर मे दो ही डाक्टर हैं जबकि प्रतिदिन औसतन 300 की ओपीडी और 20 आईपीडी वाले नसरुल्लागंज मे 9 डाक्टर पदस्थ हैं वहीं 150 की ओपीडी वाले बुदनी अस्पताल मे तीन और 134 ओपीडी वाले श्यामपुर अस्पताल मे दो डाक्टर पदस्थ हैं इन आंकड़ों से समझा जा सकता है कि पिछले दो दशक से सरकारों का इछावर के प्रति रवैया कितना उपेक्षापूर्ण रहता आया है। इछावर अस्पताल के लगातार बिगड़ते स्वास्थ्य का राज्य शासन भी अबतक कोई कारगर इलाज नहीं खोज पाया है जो डेढ़ लाख क्षेत्रवासियों के चिंता का विषय है।
यह बोले अधिकारी-------
अस्पताल मे स्टाफ की कमी है इस समस्या से विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है फिलहाल वैकल्पिक तौर पर दीवड़िया अस्पताल मे पदस्थ डा अंकित चांडक की ड्यूटी सप्ताह मे तीन दिन इछावर अस्पताल के लिए लगाई गई है।
डा. बीबी शर्मा बीएमओ, सीएचसी इछावर
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