‘अबूझ मुहूर्त’, अक्षय तृतीया पर बन रहा अद्भुत मुहूर्त’,पूजन विधी
राजन मिश्रा/गणेश पांडे 6 मई 2019
पटना/बक्सर- आइये जानते है क्या है अबूझ मुहूर्त वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को हिंदू वांगमय के अनुसार अक्षय तृतीया के रूप में मनाये जाने का प्रचलन है।वही कल यानी 7 मई मंगलवार को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। ज्योतिष शास्त्रानुसार यह ‘अबूझ मुहूर्त’ है। इस बार की अक्षय तृतीया का अद्भुत महत्व भी है क्योंकि 16 वर्षों के बाद चार ग्रहों का मंगलकारी संयोग अक्षय तृतीया के दिन बनने जा रहा है। अक्षय तृतीया पर ग्रहों का दुर्लभ संयोग जिसमे सूर्य, शुक्र, चंद्र और राहु अति शुभ स्थिति में रहकर मानवजीवन अनुकूल प्रभाव डालेंगे। इससे पहले 2003 में कुछ ऐसा ही हुआ था ,शास्त्रों में इसे चिरंजीवी तिथि के नाम से भी जाता है इस दिन विवाह, गृहप्रवेश, गृहारंभ, नवीन कार्यक्रम आदि सभी प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं, जिसका परिणाम उत्तम होता है। इस दिन स्वर्ण, धातु और अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी का विशेष महत्व अति फलदाई होता है। इसी दिन भगवान परशुराम की जयंती भी मनाई जाती है। इसी दिन महाभारत का अंत तथा सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अविर्भाव हुआ थाऐसा भी पुराणों में लिखा है
भगवान विष्णु और लक्ष्मी पूजन का है विशेष महत्व
ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक अक्षय तृतीया पर महिलाएं सुहाग की रक्षा के लिए भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी व गौरी की पूजा पर उपवास रखती हैं। पूजा में भगवान विष्णु व लक्ष्मी जी को श्वेत कलम, सफेद फूल तथा कमल गट्टा अर्पण कर अपने सुहाग के अक्षय पुण्य व वैभव की कामना करती हैं। इसलिए आज के दिन शुरू किये गए सभी कार्य अक्षय रहते हैं और अंततः शुभ फल प्राप्त होता है। इस दिन स्वर्ण या आभूषण की खरीदारी उत्तम मानी जाती है।
हिन्दू पंचांग के मुताबिक अक्षय तृतीया पर इस बार पांच बड़े ग्रहों का अदभुत रूप से आगमन हुआ है इस वर्ष अक्षय तृतीया में पांच बड़े ग्रह सूर्य, शुक्र, चंद्र, राहु और केतु अतिशुभ स्थिति में होंगे। साथ ही इस दिन चंद्र और मंगल के अपने नक्षत्र में रहने से महालक्ष्मी योग भी बन रहा है। अक्षय तृतीया पर इस शुभ योग के होने से माता लक्ष्मी की असीम होगी। इस दिन सिद्धयोग और रवियोग भी एक साथ है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 5.40 बजे से दोपहर 12.11 तक है।वही स्वर्ण व अन्य सामग्री की खरीददारी का मूहूर्त प्रातः 6.26 से रात्रि 11 बजे तक है.सभी लोग अपने- अपने हैसियत के मुताबिक अपनी खरीदारी कर सकते है और पूजन कर ब्राम्हण को दान आदि कर अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकते है
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