केंद्र ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) के कार्यान्वयन के लिए राजस्थान की कार्य योजना को मंजूरी दी
जेजेएम के लिए राज्य के पास 2020-21 के लिए 7060 करोड़ रुपये उपलब्ध
राज्य की योजना 3,700 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में दिसंबर, 2020 तक पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने की है
राजन मिश्रा/ मंटू पाठक
27 जून 2020
विशेष रिपोर्ट
विशेष रिपोर्ट
केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम, जल जीवन मिशन (जेजेएम) को लागू करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय एक रोडमैप तैयार करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहा है। मिशन का उद्देश्य 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में प्रति व्यक्ति 55 लीटर पीने योग्य पानी प्रति दिन उपलब्ध कराना है। जेजेएम का उद्देश्य ग्रामीण लोगों विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के जीवन में सुधार करना है और उन्हें कठिन कार्य करने से मुक्ति दिलाना है।
कार्यक्रम को आगे ले जाने के लिए, राजस्थान ने जल जीवन मिशन पर वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत की। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में जल जीवन मिशन की धीमी प्रगति पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। राज्य में कुल 1.1 करोड़ ग्रामीण परिवारों (घरों) में से, 12.36 लाख परिवारों को पहले ही नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान किए जा चुके हैं। 2019-20 में, केवल 1.02 लाख नल कनेक्शन प्रदान किए गए। 2020-21 में, राज्य ने 20.69 लाख घरों को नल के पानी का कनेक्शन की योजना बनायी है।
केंद्र सरकार ने 2020-21 में राजस्थान में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए 2,522.03 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है, जिसमें 2019-20 के 1,051 करोड़ रुपये की तुलना में काफी वृद्धि हुई है। जेजेएम के तहत 605.87 करोड़ के शुरुआती धनराशि और राज्य के साथ गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों के लिए एनडबल्यूक्यूएसएम घटक के तहत 389.2 करोड़ रुपये तथा इस साल के केंद्रीय आवंटन और राज्य के हिस्से के साथ, कुल 7,059.85 करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए राजस्थान के पास उपलब्ध होंगे। राज्य को कार्यक्रम के त्वरित कार्यान्वयन के लिए कहा गया है, अर्थात नलों के कनेक्शन देने एवं इसके अनुपात में वित्तीय प्रगति; ताकि राज्य प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त धनराशि का लाभ उठा सके।
राजस्थान ने फ्लोराइड, लवणता, नाइट्रेट और आयरन से प्रभावित 5,864 गांवों में रहने वाली राज्य की 57.77 लाख आबादी को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने की योजना तैयार की है। राज्य ने दिसंबर, 2020 तक सभी 3,700 फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों, एससी / एसटी की बहुलता वाले गाँवों और संसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) के गाँवों पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
जेजेएम एक विकेन्द्रीकृत, मांग-आधारित, समुदाय-प्रबंधित कार्यक्रम है, जिसमें स्थानीय ग्राम समुदाय / ग्राम पंचायत या उपयोगकर्ता समूह लंबे समय तक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए गांवों में जल आपूर्ति प्रणालियों के योजना निर्माण, कार्यान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जेजेएम को सही मायने में जनांदोलन बनाने के लिए सभी गांवों में सामुदायिक भागीदारी के साथ आईईसी अभियान शुरू करने की भी योजना है। महिला स्व-सहायता समूहों और स्वयंसेवी संगठनों को ग्रामीण समुदाय को पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए जोड़ा जायेगा।
15वें वित्त आयोग के अनुदान का 50 प्रतिशत पानी और स्वच्छता पर खर्च किया जाना है। राजस्थान को 2020-21 में वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 3,862 करोड़ प्राप्त होंगे। राज्य को विभिन्न कार्यक्रमों जैसे मनरेगा, एसबीएम (जी), पीआरआई को मिलनेवाली 15वें वित्त आयोग की निधि, जिला खनिज विकास कोष, सीएएमपीए, सीएसआर फण्ड, ग्राम स्तर पर स्थानीय क्षेत्र विकास फण्ड आदि में तालमेल के जरिये योजना तैयार की आवश्यकता है। राज्य को प्रत्येक गाँव के लिए ग्राम कार्य योजना (वीएपी) तैयार करने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए। जल संरक्षण गतिविधियों के लिए इन संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे जल स्रोतों को मजबूत करने और पेयजल सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
जल गुणवत्ता निगरानी गतिविधियों के लिए, राज्य में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभागों को स्थानीय समुदायों को जोड़ना चाहिए। इसके लिए, किट की समय पर खरीद, समुदाय को किट की आपूर्ति, हर गांव में कम से कम पांच महिलाओं की पहचान और एफटीके उपयोग के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण आदि के जरिये गतिविधि की पूरी श्रृंखला का विकेंद्रीकरण किया जा रहा है, ताकि गांवों में आपूर्ति किए गए पानी का स्थानीय स्तर पर परीक्षण किया जा सके। उद्देश्य, पेयजल आपूर्ति की एक विश्वसनीय और भरोसेमंद व्यवस्था तैयार करना है।
मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक निवास स्थान / गाँव में दीर्घकालिक आधार पर प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नल का जल उपलब्ध कराने के लिए राजमिस्त्री, प्लम्बर, फिटिंग, बिजली इत्यादि के लिए कुशल श्रमशक्ति की आवश्यकता है, ताकि जलापूर्ति योजनाओं का निर्माण, संचालन एवं रखरखाव किया जा सके। लक्ष्य है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन का एक पूल बनाया जाए, जिसके माध्यम से गांवों को जल आपूर्ति प्रणालियों के संचालन व रखरखाव के लिए आत्मनिर्भर बनाया जा सके।
कोविड-19 महामारी की स्थिति में, राज्य से गाँवों में पानी की आपूर्ति और जल संरक्षण से संबंधित कार्यों को तुरंत शुरू करने का अनुरोध किया गया है ताकि स्थानीय समुदाय को रोजगार प्रदान किया जा सके, ग्रामीण लोगों के घरों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके।
अंत में, इस बात पर जोर दिया गया कि राज्य को मिशन के उद्देश्यों को साकार करने के लिए जेजेएम कार्यक्रम के तेजी से कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए ताकि प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित रूप से व दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में और निर्धारित गुणवत्ता के अनुरूप पीने योग्य पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो सके।इन तमाम तथ्यों की जानकारी पीआईबी द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी की गई
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