बक्सर में निजी विद्यालय एवं बाल कल्याण संघ ने किया धरना प्रदर्शन, विद्यालयों को खोलने का सरकार से किया गया आग्रह


शिक्षा के माध्यम से ही लोगों को कोरोनावायरस के प्रति किया जा सकता है जागरूक-अध्यक्ष, निजी विद्यालय एवं बाल कल्याण संघ

राजन मिश्रा                                                                  7 अप्रैल 2021


बक्सर-आज बुधवार को बक्सर समाहरणालय के समीप निजी विद्यालय एवं बाल कल्याण संघ के लोगों द्वारा एक धरना प्रदर्शन के माध्यम से सरकार तक अपनी मांगों को पहुंचाने का प्रयास निजी रूप से कार्य कर रहे शिक्षकों द्वारा किया गया इसमें सरकार से निवेदन करते हुए कहा गया कि कुछ बिंदुओं पर सरकार विचार करते हुए शिक्षकों और निजी विद्यालय के संचालकों को अनुग्रहित करें इस धरना प्रदर्शन में जिले के अनगिनत निजी शिक्षकों ने भाग लिया और सभी ने एक सुर में कहा कि छात्र सबसे अधिक अनुशासित होते हैं जो अपने शिक्षकों के निर्देशों का  पालन भी करते हैं फिर कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए यदि वर्ग का संचालन कराया जाए तो इसमें सरकार को क्या आपत्ति है विद्यालय के शिक्षक एवं उनके परिवार का जीवन -यापन का एकमात्र स्रोत विद्यालय से प्राप्त होने वाला वेतन होता है यदि विद्यालय को बंद कर दिया जाए तो शिक्षा से जुड़े तमाम कर्मियों को भुखमरी से जूझना पड़ता है बार-बार विद्यालय के बंद होने से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित होती है और इससे बच्चों के जीवन से खिलवाड़ भी होता है इन लोगों ने यह भी कहा कि जब विभिन्न प्रदेशों में चुनाव कराए जा सकते हैं, लाखों की भीड़ में रैली निकाली जा सकती है, जनसभाएं हो सकती है ऐसे मे कोविड-19 का असर नहीं होता है तो शिक्षण संचालन में कोविड-19 क्या असर क्यों है ? इन लोगों ने बताया कि सरकारी विद्यालयों के बंद होने पर उनके शिक्षकों के वेतन मिलते रहते हैं लेकिन निजी विद्यालयों के बंद हो जाने से इस में कार्यरत कर्मियों के आमदनी का स्रोत शून्य हो जाता है और यह लोग भुखमरी के कगार पर आ जाते हैं ऐसे में सरकार को इन लोगों पर भी दया करनी चाहिए निजी विद्यालयों को विद्यालय संचालन के लिए कई तरह के अतिरिक्त भार सहन करने पड़ते हैं जिसमें हाउसिंग टैक्स ,रोड टैक्स, परमिट टैक्स, बिजली बिल, ईपीएफ, बैंकों से लिए गए लोन का टैक्स कई तरह के भार को वाहन करना पड़ता है ऐसे में विद्यालय का संचालन विद्यालय को बंद करके किया जाना संभव नहीं है कई वर्षों से आरटीई के तहत लंबित राशि का भुगतान भी नहीं हुआ है आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? इन लोगों का सरकार से यह भी मांग है कि शिक्षकों को कोरोना वारियर्स का दर्जा दिया जाए क्योंकि शिक्षक की बच्चों सहित सारे समाज को कोविड-19 प्रोटोकॉल को अनुसरण करने की सलाह देते हैं वही इन लोगों ने यह भी कहा कि कोरोना संक्रमित क्षेत्रों को माइक्रो कंटोनमेंट जोन बनाया जाए न कि शैक्षणिक संस्थान को बंद करने का व्यवस्था कर दिया जाए इन सब तमाम मांगों के साथ बिहार सरकार से इन लोगों ने मांग किया कि 12 अप्रैल के बाद निजी विद्यालयों को खोलने का अनुमति सरकार दे अन्यथा यह लोग भी चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे

गौरतलब हो कि निजी शिक्षकों और शिक्षण संस्थानों में कार्य करने वाले लोग वास्तव में कोरोना काल में भारी मुसीबतों का सामना कर चुके हैं और अब जब विद्यालयों को खुलने का समय आया तब फिर से सरकार द्वारा इन लोगों पर रोक लगाया जाना इनको भूखे मारने के बराबर ही है ऐसे में सरकार को कुछ ऐसा रास्ता अपनाना होगा कि यह लोग भी अपने जीवन-यापन कर सकें


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