बिहार की राजधानी पटना में खुला गुड न्यूज़ आईवीएफ केंद्र की निःसंतानों के लिए साबित होगा वरदान
गुड न्यूज आईवीएफ डॉक्टर वंदना मिश्रा द्वारा संचालित किया जा रहा हैं।
राजन मिश्रा , 5 अगस्त 2023
गुड न्यूज आईवीएफ एक प्रजन्न एवम प्रसूति क्लिनिक है। यहां मरीजों को पूरी जानकारी में रखकर इलाज किया जाता है। मरीजों की संतुष्टि ही हमारी प्रत्मिकता होती है।
आईवीएफ तकनीक में काफी महंगे मशीनों का उपयोग होता है और इस कारण सिर्फ बड़े अस्पतालों तक ही ये सीमित था।
बड़े संस्थानों में मरीजों को उनके इलाज के क्रम में कोई जानकारी नहीं दी जाती थी।
आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉक्टर की भी कमी आज बरकरार है। एक डॉक्टर द्वारा अनेकों सेंटर पे काम किया जाता रहा है। इसको कामयाब करने हेतु मरीजों को हार्मोनल इंजेक्शन देकर मासिक के दिन को आगे पीछे किया जाता है ताकि एक बड़ा बैच बन सके मरीजों का। इसके बाद स्पेशलिस्ट डॉक्टर एक दिन आकर सभी का इलाज करती हैं। इस प्रक्रिया में एक तरफ मरीजों को ज्यादा शारीरिक उत्पीड़न सहना होता है वहीं उनके अभिभावकों को ज्यादा पैसा खर्च होता है।
इसके अलावा भी कुछ ऐसा है की ना चाहते हुए बड़े हॉस्पिटल के रख रखाव हेतु किया जाता है जिसका बोझ भी मरीजों के अभिभावकों को ही भुगतना पड़ता है।
इन सब से मुक्ति के लिए आजकल एक समर्पित डॉक्टर अपना खुद का सेंटर सरकार के मदद से खोल रहीं है।
आप आगे आइए और इसका फायदा उठाईए।
इसी क्रम में *गुड न्यूज आईवीएफ* डॉक्टर वंदना मिश्रा द्वारा संचालित किया जा रहा हैं।
सनराइज साई ओजोन प्लाजा
आरपीएस मोड़ पे स्तिथ इस संस्थान में एक छत के नीचे बांझपन की सारी इलाज उपलब्ध कराई गई है।
*बांझपन*
अंडाशय में अंडे के उत्पन्न होने में समस्या होने से शुरू होकर कई कारण हो सकते हैं, जो एक जोड़े को बच्चा प्राप्त करने में अड़चन उत्पन्न कर सकते हैं। ये कारण महिला और पुरुष दोनों के लिए हो सकते हैं। कुछ सामान्य बाधाएं जो प्राकृतिक गर्भाधान को रोक सकती हैं इस प्रकार हैं:
अंडाशय से सम्बंधित समस्याएं:- अनियमित या अनुपस्थित अंडाशय से नियमित अंडे के उत्पन्न होने में दिक्कत हो सकती है।
कम शुक्राणु संख्या या खराब शुक्राणु गुणवत्ता- अपर्याप्त शुक्राणु उत्पादन या खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणु प्राकृतिक गर्भाधान के सफल होने की अवसर घटा सकते हैं।
फेलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज- बंद या क्षतिग्रस्त फैलोपियन ट्यूब शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने या अंडे को गर्भाशय तक पहुंचने से रोक सकते हैं।
गर्भाशय की असामान्यता:- गर्भाशय में संरचनात्मक समस्याएं भ्रूण का स्थानांतरण या विकास पर असर डाल सकती हैं।
एंडोमेट्रियोसिस:- गर्भाशय की ऊतक के बाहर विकसित होने वाले ऊतक में वृद्धि के कारण जोड़े के प्राकृतिक गर्भाधान में दिक्कत हो सकती है।
उम्र:- महिलाओं की उच्च उम्र अंडों की गुणवत्ता और मातृ उत्पादन की मात्रा को कम कर सकती है, जिससे गर्भाधान करना जटिल हो सकता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS):- पीसीओएस में हार्मोनी असंतुलन का असर ओव्युलेशन पर पड़ सकता है।
पुरुष फैक्टर:- कम शुक्राणु संख्या और गुणवत्ता के अलावा, पुरुष बाँझपन के कारणों में शुक्राणु की गतिविधि या शारीरिक समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
लंबी बीमारी या चिकित्सा स्थितियां:- मधुमेह, थायराइड विकार, या प्रतिरक्षा प्रणाली समस्याएं प्राकृतिक गर्भाधान पर असर डाल सकती हैं।
-धूम्रपान, अतिरिक्त शराब पीना, दवाओं का उपयोग, और अधिक तनाव जैसी अनियमित आदतें नर और मादा दोनों में गर्भाधान को प्रभावित कर सकती
गौरतलब हो कि तमाम जानकारियों के साथ बिहार के पटना में निःसंतानों के लिए कम दर पर संतान सुख देने की एक पहल की गई है संभवतः यह केंद्र बिहार के लोगों के लिए वरदान साबित होगा और यहां के लोग इसका पूरा लाभ भी उठा सकेंगे आज औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन भी किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के साथ यहां की मुख्य चिकित्सक डॉक्टर वंदना मिश्रा, राजेश झा के अलावा यहां के तमाम कर्मचारी और कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे
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