मीना कुमारी जी के पुण्यतिथि पर कुछ अनसुनी और रोचक बातें
अनमोल कुमार/राजन मिश्रा
पहली कहानी
एक कार दुर्घटना में मीना कुमारी के बाएं हाथ की छोटी उंगली आधी कट गई थी। मीना हमेशा अपनी वो उंगली छिपाकर रखती थी। अपनी सभी फिल्मों में मीना कुमारी ने अपने बाएं हाथ को दुपट्टे या साड़ी के पल्लू से छिपाकर रखा। हालांकि उनके डायरेक्टर्स उनसे ऐसा ना करने के लिए कहते थे। डायरेक्टर्स उनसे कहते थे कि इस कटी उंगली की वजह से आपकी खूबसूरती और आपकी स्क्रीन प्रजेंस पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। लेकिन मीना कुमारी ने इस बात को कभी नहीं माना।
दूसरी कहानी
कहा जाता है कि मीना कुमारी और धर्मेंद्र की नज़दीकियां मीना कुमारी के पति कमाल अमरोही को बहुत अखरती थी। और इसका बदला उन्होंने धर्मेंद्र से कुछ इस तरह लिया कि साल 1983 की फिल्म रज़िया सुल्तान में उन्होंने धर्मेंद्र को ही कास्ट किया। और उन्हें ऊपर से लेकर नीचे तक काले रंग से पोत दिया। कुछ लोग इसे धर्मेंद्र से कमाल अमरोही का बदला कहते हैं। हालांकि इस बात में सत्यता नहीं दिखती। क्योंकि रज़िया सुल्तान में धर्मेंद्र के चरित्र की डिमांड ही वही थी।
तीसरी कहानी
नामी शायर गुलज़ार के साथ भी मीना कुमारी के रिश्ते की बातें किसी वक्त पर फिल्म इंडस्ट्री में काफी हुआ करती थी। मीना कुमारी ने गुलज़ार की डायरेक्टोरियल डेब्यू मेरे अपने में काम किया था। और इसके बदले उन्होंने गुलज़ार से कोई पैसा नहीं लिया था। इस तरह मीना कुमारी और गुलज़ार के रिश्ते की अफवाहों को और हवा मिल गई। वैसे, गुलज़ार मीना कुमारी के जीवन में अहम रुतबा रखते थे ये बात सत्य है। क्योंकि मीना कुमारी ने अपनी वसीयत में लिखा था कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी डायरी गुलज़ार को सौंप दी जाए।
चौथी कहानी
मीना कुमारी जी की मोस्ट सेलिब्रेटेड फिल्म पाकिज़ा है। लेकिन बहुत से लोगों का मानना है कि उनकी सबसे शानदार परफॉर्मेंस गुरूदत्त की साहिब बीवी और ग़ुलाम फिल्म में किया गया उनका अभिनय है। इस फिल्म में मीना कुमारी ने एक शराबी पत्नी की भूमिका निभाई थी। मीना जी से पहले ये रोल नामी फोटोग्राफर जितेंद्र आर्या की पत्नी छाया को ऑफर हुआ था। लेकिन जब उनसे बात नहीं बनी तो गुरूदत्त ये ऑफर लेकर मीना कुमारी के पास गए। वहां कमाल अमरोही ने गुरूदत्त से जो फीस मांगी वो उनके बूते से काफी बाहर थी। लेकिन मीना को ये कहानी और किरदार बहुत पसंद आए थे। इसलिए उन्होंने कमाल अमरोही के खिलाफ जाकर गुरूदत्त के ऑफर को स्वीकार कर लिया। दरअसल, मीना कुमारी फिल्म में बंगाली औरत का किरदार निभाने का ख्वाब दिलीप कुमार की देवदास के वक्त से ही देख रही थी। देवदास की पारो का रोल पहले मीना कुमारी को ही मिला था। लेकिन किन्हीं वजहों से वो रोल मीना कुमारी से छिन गया और सुचित्रा सेन के पास चला गया।
पांचवी कहानी
कई लोगों को लगता है कि पाकिज़ा मीना कुमारी की आखिरी फिल्म है। लेकिन ऐसा है नहीं। मीना कुमारी की आखिरी फिल्म थी 1972 की 22 नवंबर को रिलीज़ हुई गोमती के किनारे। चूंकि पाकिज़ा को बनने में काफी वक्त लग गया था इसलिए पाकिज़ा के साथ ही मीना जी ने इस फिल्म की शूटिंग भी की थी। और इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ इसलिए काम किया था क्योंकि वो डायरेक्टर सावन कुमार टाक की डेब्यू फिल्म में उनका सपोर्ट करना चाहती थी। जबकी उनकी तबियत उन दिनों काफी खराब रहती थी। ये मीना कुमारी जी की ज़िंदादिली की एक और शानदार मिसाल है।
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