बक्सर के सियासी दलदल में फंस गया है भाजपा का कमल, प्रत्याशी बदलने की सुगबुगाहट
भाजपा ने बक्सर की अपनी निश्चित लोकसभा सीट को ख़तरे में डालारिपोर्ट -अनमोल कुमार / राजन मिश्रा
पटना - सभी जानते हैं की बक्सर में दशकों से बाहरी उम्मीदवार का विरोध चल रहा था । विरोध के बावजूद भाजपा द्वारा वहाँ की जनता की भावना का तिरस्कार किया गया । संभावित उम्मीदवार का चेहरा नहीं दिखने से लोग भी शांत हो जाते थे । इस बार पार्टी के अंदर से डॉ मनोज कुमार तथा बाहर से आनंद मिश्रा लोगों के बीच अपनी पहचान बना चुके थे । प्रदेश स्तर तक भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को भी यह विश्वास था कि लंबे समय से पार्टी में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके डॉ मनोज कुमार मिश्र का नाम अंतिम फ़ैसला होगा । पर आख़िरी वक्त में पार्टी द्वारा बाहरी उम्मीदवार के रूप में मिथिलेश तिवारी को प्रत्याशी बना दिया गया । पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता होने के कारण डॉ मनोज कुमार ने आंशिक विरोध करने के बाद पार्टी के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया, हालांकि यह बातें मायने रखती है कि एक बड़े डॉक्टर की पहचान बन चुके डॉक्टर मनोज कुमार मिश्रा द्वारा पार्टी की छवि बनाने को लेकर बक्सर संसदीय क्षेत्र में बहुत मेहनत किया गया शिविर लगाकर लोगों का निःशुल्क इलाज एवं जांच व्यवस्था किया गया वही जगह-जगह जाकर लोगों के बीच भाजपा के प्रति लोगों का सम्मान बढ़ाया गया सब कुछ होने के बावजूद आज भी इस संसदीय क्षेत्र के लोगों को डॉक्टर मिश्रा द्वारां हर संभव मदद करने का प्रयास किया जाता रहता है इस क्षेत्र में डॉक्टर मिश्रा अपनी अलग पहचान बना चुके है
वहीं दूसरी ओर आनंद मिश्रा अपनी आईपीएस की नौकरी छोड़कर लोगों की सेवा का मन बना आए हैं लेकिन पार्टी में भी नहीं थे इसलिए उन्होंने निर्दलीय के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर दी है । अब बक्सर में चतुष्कोणीय मुक़ाबला हो गया है । आज के दिन में कहना मुश्किल है कि बाज़ी किसके हाथ होगी । इस दौड़ में कुछ ऐसे लोग भी हाथ मार रहे हैं जिनका ना कोई सामाजिक पहचान है ना ही राजनीतिक पकड़ बावजूद इसके यह लोग लगे हुए हैं हालांकि कुल मिलाकर पार्टी का फैसला सर्वोच्च होता है जिसका सम्मान करने वाले ही इसके हकदार होते हैं
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