बक्सर में मुंडन संस्कार को लेकर पूरे दिन भीड़ से कराहता रहा शहर
राजन मिश्रा/अरविंद पाठक, 26/04/24
बक्सर - मुंडन संस्कार को लेकर शुक्रवार को स्थानीय रामरेखा घाट पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उमड़े जन-सैलाब से नगर की सड़कों पर सुबह से दोपहर तक जाम की स्थिति बनी रही। शहर में जाम से निबटने के लिए रामरेखा घाट पर मुंडन संस्कार के लिए आने वाले बड़ी वाहनों को प्रशासन की ओर से गोलंबर, नया बाजार मठिया मोड़ और इटाढ़ी रेलवे क्रॉसिंग के पास ही वाहन को रोकने की व्यवस्था कर दी गई। इन जगहों पर तैनात पुलिस वाहन को शहर में प्रवेश नहीं करने दे रहे थे। ऐसे में लोगों को पैदल ही रामरेखा घाट तक आना पड़ा। विद्वान पंडितों के अनुसार संस्कार के लिए साल का सबसे उत्तम मुहूर्त था। इस कारण शाहाबाद परिक्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले भोजपुर, रोहतास, कैमूर, बक्सर से लगायत उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती गाजीपुर और बलिया से श्रद्धालुओं का हुजूम अपने नाते-रिश्तेदारों के साथ गंगा घाट पहुंचे हुए थे। रामरेखा घाट के पंडा लाला बाबा ने बताया कि इस संस्कार की रस्मअदायगी से बच्चों का जीवन सुखमय व दीर्घायु होता है। वहीं ऋषि-महर्षियों की तपोस्थली और गंगा की धारा उत्तरायणी होने से इस स्थल का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस कारण कई जिला क्षेत्रों से यहां लोगों का आगमन होते रहता है।
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का है वर्णन
हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है। इनमें गर्भाधान संस्कार, नामकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह संस्कार और अन्त्येष्टि संस्कार आदि प्रमुख है। शिशु के जन्म के बाद नामकरण संस्कार के उपरांत मुंडन संस्कार किया जाता है। इस संस्कार को बचपन क्रिया संस्कार, मुंडन संस्कार और चूड़ाकर्म संस्कार भी कहते हैं। मुंडन संस्कार में बच्चे के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें, सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बाल उतारे जाते हैं।
पंडित सरोज पांडे ने बताया कि शुक्रवार, वैशाख मास, कृष्ण पक्ष, द्वितीया तिथि मुंडन संस्कार के लिए सबसे शुभ माना गया है। आचार्य रणधीर ओझा ने बताया कि मुंडन संस्कार के पीछे एक भी तर्क दिया जाता है कि मां के गर्भ में रहने के दौरान बच्चे के बालों में कई अशुद्ध तत्व आ जाते हैं। जब तक ये अशुद्ध तत्व बच्चे के बालों में रहते हैं, बच्चे का दिमागी विकास तेजी से नहीं हो पाता है। इसलिए माना जाता है कि मुंडन के बाद से बच्चे का बुद्धि ज्यादा तेज हो जाती है।
श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से की पूजा
प्रसिद्ध रामरेखाघाट के गंगातट पर शुक्रवार को विभिन्न क्षेत्रों से उमड़े श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस दौरान घाट के पंडितों ने जहां बच्चों का मुंडन कराकर उन्हें स्नान कराया। वहीं, गंगा मइया का वैदिक तरीके से मंत्रोच्चार कर पूजन कराया। इसके उपरांत श्रद्धालु नाव के सहारे परिजनों के साथ गंगा के उस पार गए।
तरबूज से बुझाई हलक की प्यास
एक तो भीड़ ऊपर से गर्मी ऐसे में प्यास लगना लाजिमी है और फिर कहीं तरबूज के कटे फल की लालिमा दिख जाए तो भला कोई कैसे रुक सकता है। इस दौरान बिक्री हो रहे तरबूज समेत ककड़ी, खीरा आदि के ठेलों पर खरीदारों की भीड़ दिखी। हालांकि, इस लुत्फ के मेले में युवक युवतियों को आइस्क्रीम का स्वाद लेते भी अधिक देखा गया। दिनभर रामरेखा घाट पर मेला का नजारा दिखा। रामरेखा घाट पर पूजा सामग्री, प्रसाद, चाट, समोसा, जलेबी, खिलौना समेत अन्य दुकानें सजी थी। मुंडन संस्कार के बाद लोगों ने बाजार में जमकर खरीदारी भी की।
नाविकों एवं घाट के पंडितों की कटी चांदी
मुंडन संस्कार पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ में रामरेखाघाट पर रहने वाले पंडितों व नाविकों की आज चांदी रही। परिजन विधि-विधान कराने के लिए मुंहमांगा रकम दे रहे थे। घाट पर नाई की कमाई भी खूब हुई। परिजनों को बच्चों का मुंडन कराने के लिए इंतजार करना पड़ रहा था। रामरेखा घाट के पहुंचपथ और घाट पर छोटे-बड़े दुकानदारों को अच्छी आमदनी हुई।
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