बिहार फाउंडेशन, बिहार सरकार और विदेश मंत्रालय के सहयोग से पटना में विदेश संपर्क कार्यक्रम का आयोजन


बिहार प्रवासियों के मुद्दों और चुनौतियों को सुविधाजनक बनाने को लेकर हुई चर्चा

रिपोर्ट -अनमोल कुमार /राजन मिश्रा 

पटना - बिहार फाउंडेशन, बिहार सरकार और विदेश मंत्रालय के सहयोग से पटना में आज विदेश संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बिहारी प्रवासियों के मुद्दों और चुनौतियों को सुविधाजनक बनाने का था। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री चैतन्य प्रसाद, विकास आयुक्त, और श्री मुक्तेश के. परदेशी, सचिव (सीपीवी और ओआईए), एमईए द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में श्री अंकन बनर्जी, संयुक्त सचिव (डीई), विदेश मंत्रालय; श्री नीरज अग्रवाल, संयुक्त सचिव (सीपीवी), विदेश मंत्रालय; श्री अभिषेक सिंह, संयुक्त सचिव (ईडी), विदेश मंत्रालय; श्रीमती तविषी बेहल पांडे, आरपीओ, पटना,  श्री कुंदन कुमार, रेसिडेंट कमिश्नर सह निवेश आयुक्त और बिहार फाउंडेशन के डेप्युटी सीईओ विवेक रंजन मैत्रेय भी उपस्थित थे। बिहार के विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, भर्ती एजेंसियाँ, और जिला एवं पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। 

किसने क्या कहा?

बिहार के विकास आयुक्त सह बिहार फाउंडेशन के सदस्य सचिव, श्री चैतन्य प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा, "मैं विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का पटना में स्वागत करता हूँ और मुझे विश्वास है कि वे राज्य के बाहर रहने वाले बिहार के प्रवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए मजबूत प्रस्ताव लाएंगे। बांग्लादेश में चल रहे दंगे, सूडान में बचाव अभियान और कोविड-19 महामारी ने परिवारों और प्रवासियों के बीच संचार को गंभीर रूप से बाधित किया है। विदेश मंत्रालय (एमईए) इन संबंधों को फिर से स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि बिहार के प्रवासी अक्सर महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करते हैं, जिसमें भेदभाव और शोषण शामिल हैं, विशेष रूप से विदेशों में अकुशल मजदूरों के बीच। इन व्यक्तियों के पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज अक्सर नियोक्ताओं द्वारा जब्त कर लिए जाते हैं, जिससे उनके लिए घर से संपर्क करना या वापस लौटना मुश्किल हो जाता है। कानूनी प्रवास के मुद्दे इन मजदूरों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें से कई अपने अधिकारों से अनजान हैं। मुझे विदेश मंत्रालय से निरंतर समर्थन की उम्मीद है ताकि बिहार के प्रवासियों की मदद की जा सके।

विदेश मंत्रालय के सचिव (सीपीवी और ओआईए) श्री मुक्तेश के. परदेशी ने कहा, "पटना वापस आकर आपके साथ काम करके अवसर पैदा करने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मैं खुश हूँ। मुझे खुशी है कि विदेश संपर्क ने मुझे यहाँ लाया है। यह अक्सर समझा जाता है कि विदेश मामलों का संचालन केंद्र सरकार का काम है, लेकिन यह भी सच है कि राज्य सरकारें, प्रांत, और नगरपालिकाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उदाहरण के लिए बिहार को लें, जो नेपाल और भूटान के साथ सीमाएँ साझा करता है। लोग रोज़ाना इन सीमाओं को पार करते हैं, और यहाँ आजीविका के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि नेपाल के साथ डिप्लोमेटिक संबंध बनाए रखने में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस पहल को विदेश राज्य संपर्क कहा जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के रूप में हम राज्यों का दौरा करते हैं और उनके साथ संवाद करते हैं। जैसा कि विकास आयुक्त ने उल्लेख किया, संकट के समय में नागरिकों को निकाला जाना आवश्यक होता है। इसमें मुआवजा, बीमा और यहाँ तक कि मृतकों के शरीर को वापस लाना शामिल है। यह सब राज्य की मदद के बिना संभव नहीं है।

बिहार के 50 लाख से अधिक लोग राज्य के बाहर रह रहे हैं और ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम उन्हें उनके अधिकारों के बारे में बताना चाहते हैं, जिनका उपयोग वे बेहतर जीवन के लिए कर सकते हैं,"। 


बिहार फाउंडेशन के सीईओ सह निवेश आयुक्त श्री कुंदन कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन पहले उत्तरदाता होते हैं, और यह कार्यक्रम हम सभी के लिए एक कार्यशाला के स्वरूप है जिसमें हम यह जान सकें कि प्रवासियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को कैसे हल किया जाए। विदेश मंत्रालय ने बिहार सरकार के साथ मिलकर प्रवासियों को उनके अधिकारों और जिला और पुलिस प्रशासन को प्रभावी समाधान खोजने में उनकी भूमिकाओं के बारे में जागरूक किया है। मैं सभी को अपनी समस्याओं को रखने और एक द्विपक्षीय चर्चा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ ताकि यह कार्यक्रम फायदेमंद साबित हो । 


कार्यक्रम में आगे विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए विषयगत सत्र आयोजित किए गए, जिनमें "विदेशी भारतीय समुदाय के साथ संपर्क," "विदेशी भारतीयों का कल्याण और संरक्षण," "व्यापार और निवेश: अवसर और चुनौतियाँ," "पासपोर्ट सेवाएं," "सुरक्षित और कानूनी प्रवास," और "कौशल संवर्धन और श्रमिक कल्याण" शामिल थे।

जिनका उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (डीई) श्री अंकन बनर्जी ने भारतीय प्रवासियों की विविध आवश्यकताओं को संबोधित करते हुए निम्नलिखित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जैसे कि 

*प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ जुड़ाव

*विदेशों में भारतीय महिलाओं से संबंधित मुद्दे 

*विदेश में भारतीय छात्रों के लिए विशिष्ट मुद्दे 

*एनआरआई/पीआईओ- अधिकार और कानूनी मुद्दे और उपाय 

*राज्यों में एनआरआई संस्थानों की भूमिका 

*प्रवासी भारतीयों के लिए विदेश मंत्रालय की योजनाएं *भारतीय प्रवासी समुदाय की प्रभावी ढंग से सेवा करने में डेटा संग्रह की अहम भूमिका है।


वहीं विदेश मंत्रालय में निदेशक (कांसुलर, पासपोर्ट और वीजा) श्री नीरज अग्रवाल ने प्रवासी भारतीयों के कल्याण और संरक्षण से संबंधित कई मुद्दों पर बात की। उनके संबोधन में निम्नलिखित बिंदु शामिल थे जैसे 

* विदेश में मृत भारतीय नागरिकों के पार्थिव अवशेषों का परिवहन

* MADAD: कांसुलर शिकायत निवारण पोर्टल

* ई-सनद/प्रमाणन और अपोस्टिल

* राज्य स्तर पर कांसुलर पहुंच के प्रसंस्करण/कार्यान्वयन में देरी

* राष्ट्रीयता सत्यापन

* विदेशियों को कांसुलर पहुंच

* सजायाफ्ता व्यक्तियों का स्थानांतरण


*पासपोर्ट सेवा*


नए पासपोर्ट सेवा केंद्र बनने से बेहतर हुई पासपोर्ट संबंधित सेवायें। इस संबंध में रीजनल पासपोर्ट ऑफिसर पटना, विदेश मंत्रालय तवीशी बहल पांडेय ने कहा कि पासपोर्ट प्राइमरी डॉक्यूमेंट है जिसकी प्रक्रिया आसान बनाने के लिए हमने पासपोर्ट संबंधित प्रक्रियाओं में बदलाव किए है। ऑनलाइन आवेदन प्रणाली ने प्रसंस्करण समय को तेज कर दिया है और पुलिस जांच भी अब जल्दी होगी। प्राइवेट एजेंसियों द्वारा आधार कार्ड में आयु से संबंधित अनियमितताओं को दूर करने के लिए कड़ी रूख करने की प्रक्रिया अपनाने की बात हुई । 

इसी आर देशों में गैरकानूनी पलायन

 

श्री शैलेंद्र भगत जॉइंट सेक्रेटरी, प्रोटेक्टर जनरल ऑफ़ इमिग्रेंट्स, विदेश मंत्रालय ने इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड देशों में मजदूरी करने वाले प्रवासी नागरिकों के समस्याओं के बारे में बात की एवं गैर कानूनी अप्रवास पर रोक लगाने की भी बात की ताकि भारतीय प्रवासी के हितों जैसे अत्यधिक कार्य वेतन जीवन बीमा इत्यादि पर बिना किसी समस्या के कार्य किया जाये। कार्यक्रम में राज्य और केंद्र के बीच सामंजस्य की कमी से भारतीय प्रवासी को होने वाले परेशानियों के बारे में भी बात की गयी। बिहार से विदेशों में रहने वाले तकरीबन 50 लाख से भी ज्यादा प्रवासी है जिनका ब्योरा मंत्रालय के पास नहीं है। बिहार के गृह विभाग और उच्च शिक्षा विभाग को प्रवासियों के दस्तावेजों के सत्यापन प्रक्रिया को त्वरित करने की बात कही गयी। *डिजिलॉकर* जैसे आधुनिक तकनीकों के साथ -साथ  प्रोटेक्टेंट ऑफ इमिग्रेंट्स विभाग द्वारा बिहार के विभिन्न जिलों से विदेशों में मजदूरी करने वाले प्रवासियों एवं विदेशों में फंसी महिलाओं के संबंध में विदेश मंत्रालय से सामंज्यस स्थापित करने की बात की गयी।

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