एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तों - दास्ता बरिष्ठ पत्रकार, एस. एन. श्याम की



प्रस्तुति - अनमोल कुमार / राजन मिश्रा 

मैं एक श्रमजीवी पत्रकार हूं। पत्रकारिता के पेशा के अलावा मेरा दूसरा कोई धंधा नहीं है पत्रकार संगठन चलाता हूं और कई राष्ट्रीय पत्रकार संगठनों से भी जुड़ा हूं ।अपने स्वयं के खर्चों पर और कुछ मित्रों के सहयोग से पत्रकार उत्पीड़न, पत्रकारों की लगातार हत्या और उन्हें अपराधिक निशाना बनाए जाने के विरोध में आवाज बुलंद करता हूं। लड़ाई लड़ता हूं।

      30 जुलाई  2024को राजधानी पटना में अपराधियों ने मुझे भी अपना निशाना बना लिया ।बाइक चोरों के गिरोह  ने मेरी एक लाख 6000 की होंडा शाइन 5 गियर वाली बाइक चुरा ली। चोरी कि यह वारदात दिघा थाना क्षेत्र के मरीन ड्राइव रेलवे पुल के नीचे से हुई।

    इसे लेकर मैंने कई पोस्ट किया। फेसबुक पोस्ट पर अधिकांश मित्रों ने मुझे सनतावना और नसीहत दिया । सरकार एवं पुलिस की कार्यशैली पर घोर आश्चर्य व्यक्त किया। 

       सर्वप्रथम पत्रकार देवव्रत राय ने फोन कर मेरे साथ हुए हादसे पर अफसोस जाहिर किया। इसके बाद पत्रकार नीरज ,अविनाश ,अनूप नारायण सिंह ,दीपक कुमार ,विवेक कुमार इत्यादि पत्रकारों ने बाइक चोरी की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और पुलिस के आला अधिकारियों खासकर पटना के एस एस पी और बिहार पुलिस के ए डीजी पी जी। एस गंगवार द्वारा किए गए व्यवहार पर नाराजगी जाहिर किया। 

     फेसबुक पोस्ट पर भी वामपंथी पत्रकार हेमंत, राष्ट्रीय सहारा के मुख्य उप संपादक अवध कुमार, मनेर के पत्रकार अमोल बजाज,मोतिहारी के पत्रकार अवधेश शर्मा सहरसा के पदार्थ पत्रकार सिद्धार्थ शंकर झारखंड के पत्रकार संजय पांडे और उत्तराखंड के पत्रकार गिरधर शर्मा इत्यादि ने भी पोस्ट और व्हाट्सएप के माध्यम से मेरी खोज खबर ली और अफसोस जाहिर किया। इसके अलावा  कई राजनीतिक सामाजिक योद्धाओं ने भी इस वारदात के लिए सरकार और पुलिस प्रशासन को जमकर कोसा। वरिष्ठ पत्रकार संतोष सुमन ,डीडी न्यूज़ के पत्रकार अंकुश यादव ,जागरण के पत्रकार कंचन किशोर ,पत्रकार उमाशंकर सिंह इत्यादि ने भी सरकार की घेराबंदी की। 

       स्वतंत्र पत्रकार कुमार निशांत ने मेरा साथ दिया और दीघा थाने में इस मामले की प्राथमिक की दर्ज करवाने से लेकर दिन भर में मेरे साथ व्यस्त रहे। निशांत ने मेरे साथ मेरीन ड्राइव का वह घटनास्थल भी देखा जहां गंगा किनारे रेलवे पुल के नीचे से मेरी बाइक चोरी चली गई थी। गंभीर रूप से बीमार रहने के के बावजूद बिहार प्रेस मेंस यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल कुमार ने मेरी खोज खबर ली और मोटरसाइकिल चोरी के मामले को प्रदेश एवम प्रदेश के बाहर के सोशल मीडिया दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुखता से छपवाया।

     इसके साथ ही कुछ पत्रकार मित्र सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता और मेरे अपने परिजन भी इस मामले में ना तो मेरी कोई खोज खबर ली और नहीं यह जानने की कोशिश की कि मैं किस हाल में हूं ।अफसोस इस बात का है कि कुछ ऐसे लोग खास कर पटना में जिन्हे मैंने पत्रकारिता की पहचान दी ।धन से नहीं बल्कि तन मन और श्रम से उनका हर संभव सहयोग किया ।उन्होंने मेरी कोई सुध  भी नहीं ली।

          मेरे एक दिव्यांग परिजन ने इस मामले में काफी श्रम किया यह पटना से दीघा गए काफी देर तक वहां रहकर बाइक की खोजबीन में जुटे रहे इस दरमियान उनकी पत्नी दिव्या भी उनके साथ रही। हालांकि बेबी हालांकि वे भी सोशल मीडिया के पत्रकार हैं।मैं नरेंद्र प्रताप सिंह के उपकार को कभी नहीं भूल सकता। पत्रकार संगठनों में बिहार प्रेस मेंस यूनियन को छोड़कर किसी अन्य पत्रकार संगठन ने  न तो मेरा साथ दिया ना मेरी खोज खबर ली और नहीं एक कॉल तक किया।

      कोई बात नहीं 

 "जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों ।

मैं नहीं कहता किताबों में लिखा है यारों ।"

जिन्होंने मेरा इस दुख की घड़ी में साथ दिया उन्हें और जिन लोगों ने मुझे किनारा किया उन लोगों को भी सिर्फ एक शब्द की

 "एहसान मेरे दिल पर तुम्हारा है दोस्तों।"

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