खासकर अपने बच्चों को बताएं


क्योंकि ये बात उन्हें कोई दूसरा व्यक्ति नहीं बताएगा


प्रस्तुति - अनमोल कुमार


           *दो पक्ष*-


कृष्ण पक्ष , 

शुक्ल पक्ष !


          *तीन ऋण* -


देव ऋण , 

पितृ ऋण , 

ऋषि ऋण !


          *चार युग* -


सतयुग , 

त्रेतायुग ,

द्वापरयुग , 

कलियुग !


           *चार धाम* -


द्वारिका , 

बद्रीनाथ ,

जगन्नाथ पुरी , 

रामेश्वरम धाम !


         *चारपीठ* -


शारदा पीठ ( द्वारिका )

ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) 

गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , 

शृंगेरीपीठ !


         *चार वेद*-


ऋग्वेद , 

अथर्वेद , 

यजुर्वेद , 

सामवेद !


           *चार आश्रम* -


ब्रह्मचर्य , 

गृहस्थ , 

वानप्रस्थ , 

संन्यास !


         *चार अंतःकरण* -


मन , 

बुद्धि , 

चित्त , 

अहंकार !


           *पञ्च गव्य* -


गाय का घी , 

दूध , 

दही ,

गोमूत्र , 

गोबर !


         


         *पंच तत्त्व* -


पृथ्वी ,

जल , 

अग्नि , 

वायु , 

आकाश !


           *छह दर्शन* -


वैशेषिक , 

न्याय , 

सांख्य ,

योग , 

पूर्व मिसांसा , 

दक्षिण मिसांसा !


          *सप्त ऋषि* -


विश्वामित्र ,

जमदाग्नि ,

भरद्वाज , 

गौतम , 

अत्री , 

वशिष्ठ और कश्यप! 


          *सप्त पुरी* -


अयोध्या पुरी ,

मथुरा पुरी , 

माया पुरी ( हरिद्वार ) , 

काशी ,

कांची 

( शिन कांची - विष्णु कांची ) , 

अवंतिका और 

द्वारिका पुरी !


         *आठ योग*- 


यम , 

नियम , 

आसन ,

प्राणायाम , 

प्रत्याहार , 

धारणा , 

ध्यान एवं 

समाधी !


         


         


         *दस दिशाएं*-


पूर्व , 

पश्चिम , 

उत्तर , 

दक्षिण ,

ईशान , 

नैऋत्य , 

वायव्य , 

अग्नि 

आकाश एवं 

पाताल 


         *बारह मास* - 


चैत्र , 

वैशाख , 

ज्येष्ठ ,

अषाढ , 

श्रावण , 

भाद्रपद , 

अश्विन , 

कार्तिक ,

मार्गशीर्ष , 

पौष , 

माघ , 

फागुन !


         


         


         *पंद्रह तिथियाँ* - 


प्रतिपदा ,

द्वितीय ,

तृतीय ,

चतुर्थी , 

पंचमी , 

षष्ठी , 

सप्तमी , 

अष्टमी , 

नवमी ,

दशमी , 

एकादशी , 

द्वादशी , 

त्रयोदशी , 

चतुर्दशी , 

पूर्णिमा , 

अमावास्या !


         *स्मृतियां*- 


मनु , 

विष्णु , 

अत्री , 

हारीत ,

याज्ञवल्क्य ,

उशना , 

अंगीरा , 

यम , 

आपस्तम्ब , 

सर्वत ,

कात्यायन , 

ब्रहस्पति , 

पराशर , 

व्यास , 

शांख्य ,

लिखित , 

दक्ष , 

शातातप , 

वशिष्ठ                

                

 *भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो*

ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।

जवाब:-

अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-

(1)जल

(2) पथ्वी

(3)आकाश

(4)वायू

(5) अग्नि

ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।


*इस जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है*

1. श्मशान में

2. अर्थी के पीछे

3. शौक में

4. मन्दिर में

5. कथा में


अकेले हो?

परमात्मा को याद करो ।


परेशान हो?

ग्रँथ पढ़ो ।


उदास हो?

कथाए पढो ।


टेन्शन मे हो?

भगवत गीता पढो ।



*सूचना*

क्या आप जानते हैं ?

हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।


व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।

आरती----के दौरान ताली बजाने से

दिल मजबूत होता है ।




श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।

''कैन्सर"

एक खतरनाक बीमारी है...

बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...

बहुत मामूली इलाज करके इस

बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...


अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...

खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...


*हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि*..


खाने से पहले'पानी 'पीना

अमृत"है...


खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की

''पूजा'' है...


खाना खत्म होने से पहले 'पानी'

''पीना औषधि'' है...


खाने के बाद 'पानी' पीना"

बीमारीयो का घर है...


बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...


ये बात उनको भी बतायें जो आपको "जान"से भी ज्यादा प्यारे है


रोज एक सेब

नो डाक्टर ।


रोज पांच बदाम,

नो कैन्सर ।


रोज एक निबु,

नो पेट बढना ।


रोज एक गिलास दूध,

नो बौना (कद का छोटा)।


रोज 12 गिलास पानी,

नो चेहेरे की समस्या ।


रोज चार काजू,

नो भूख ।


रोज मन्दिर जाओ,

नो टेन्शन ।


रोज कथा सुनो 

मन को शान्ति मिलेगी ।।


"चेहरे के लिए ताजा पानी"।


"मन के लिए गीता की बाते"।


"*सेहत के लिए योग*"।


और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।


*अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं* ।

*जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान एक एक पुण्य के लिए तरसेगा* ।

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