प्रगति यात्रा को लेकर बक्सर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 


राजन मिश्रा / गणेश पांडे 

बक्सर -अपने पूर्व प्रायोजित कार्यक्रम के तहत प्रगति यात्रा के तहत शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बक्सर पहुंचे यहां उनके द्वारा 200 करोड़ की लागत से तैयार किए गए सिमरी प्रखंड के केशोपुर में निर्मित वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट व चौसा प्रखंड के निकृष में निर्मित 62 करोड़ की लागत से बने निकृष पम्प नहर योजना समेत जिले में कुल लगभग 476 करोड़ की योजनाओं का रिमोट से पर्दापण कर उद्घाटन व शिलान्यास किया गया।  इन्होंने केशोपुर के बाद राजपुर परसनपाह पंचायत के सरकारी भवन में बने नक्षत्र वाटिका व डिजीटल लाइब्रेरी आदि का निरीक्षण किया।

मुख्यमंत्री  ने केशवपुर जलशोध संयत्र योजना का उद्घाटन के बाद वहा जीविका समूहों सहित अन्य विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण किया। साथ उनसे वार्ता भी की। उद्घाटन के दौरान उनके साथ बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल भी मौजूद रहे। 

मुख्यमंत्री सुबह 10.20 बजे हेलीकॉप्टर से केशोपुर में लैंड किए। हेलीपैड से बाहर आने के बाद वे  सीधे जलशोध संत्रय पहुंचे तथा उसका उद्घाटन किए। वहीं, विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने जीविका दीदियों से वार्ता भी की।

ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री राज्य की प्रगति की समीक्षा तथा उसके अवलोकन के लिए ही प्रगति यात्रा पर निकले है। परसनपाह पंचायत सरकारी भवन का निरीक्षण करने के बाद वे सिमरी भोजपुर के रास्ते सड़क मार्ग से बक्सर पहुंचे। इस दौरान इलाके में सुरक्षा व्यवस्था काफी मुश्तैद थी तथा दोनों कार्यक्रम स्थल पर कई स्तरों की सुरक्षा की गई थी। वे बक्सर में रामरेखा घाट, सर्किट हाउस में निर्मित योजनाओं का उद्घाटन किये उसके बाद समाहरणालय पहुंच कर जिले के अधिकारियों से प्रगति की समीक्षा की, उसके बाद पटना लौट गए।

प्रगति यात्रा में मुख्यमंत्री के काफिले के साथ उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा,  नगर विकास विभाग के मंत्री नितीन नवीन, कैबिनेट मंत्री विजय कुमार चौधरी के साथ अन्य अधिकारी भी शामिल रहे।

मुख्यमंत्री के प्रगति यात्रा के दौरान मिली कुछ खामियां, जनप्रिय नहीं होने का कुछ लोगों ने लगाया आरोप

राजन मिश्रा /हिमांशु शुक्ला 

बक्सर - प्रगति यात्रा के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बक्सर पहुंचे जैसे ही सर्किट हाउस से बाहर निकले। वैसे ही उनके स्वागत के लिए सड़क किनारे लगाए गए गमलों पर लोगों ने धावा बोल दिया। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग तेजी से गमले उठाकर वहां से भागने लगे। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने उन्हें रोकने का प्रयास भी किया, लेकिन असफल हुए।

कुछ लोगों ने इसे हताशा और निराशा का परिणाम बताया, तो कुछ ने इसे पूरी व्यवस्था की असफलता करार दिया।

बक्सर में मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों का जायजा लिया। इसके साथ ही लगभग 475 करोड़ से अधिक की लागत से बनने वाली परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी किया। लेकिन वही इस दौरान वार्ड 15 स्थित रामरेखा घाट दलित बस्ती के लोगों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। सीएम से मिलने से रोका तो भीड़ ने बवाल काटने का भी प्रयास किया लेकिन प्रशासनिक लोगों के मुस्तैदी से कुछ अप्रिय नहीं हो सका

दरअसल, मूलभूत सुविधाओं से वंचित बस्ती के लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी समस्याओं के बारे में बात करना चाह रहे थे। हालांकि, सुरक्षा में तैनात अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। इसी कारण सभी गुस्सा हो गए और बवाल करने लगे। यह लोग एक स्वर में कह रहे थे कि यह नेता जनप्रिय नहीं है जब लोगों की समस्या ही नहीं सुनेंगे तो प्रगति क्या और कहां से होगा

दलित बस्ती की महिला मुन्नी देवी ने बताया कि 'उनके पास रहने के लिए ना तो घर है, ना ही जमीन है। पीने के लिए शुद्ध पानी की सुविधा भी नहीं है। अपनी परेशानियों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने आए थे, लेकिन प्रशासन ने मिलने नहीं दिया और जबरन पीछे धकेल दिया। इससे नाराज होकर वहां मौजूद महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने विरोध शुरू कर दिया।'

बस्ती के लोगों ने बताया कि वे सालों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। घर, पानी और बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें तक पूरी नहीं हो रही है। कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब मुख्यमंत्री आए तो उम्मीद थी कि वे हमारी समस्याएं सुनेंगे और समाधान निकालेंगे, लेकिन उन्हें मिलने तक नहीं दिया गया।प्रशासन पर काम नहीं करने का आरोप भी यह लोग लगा रहे हैं

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि 'प्रशासन सिर्फ दिखावे के लिए है। जब मुख्यमंत्री आते हैं तो साफ-सफाई और सजावट होती है, लेकिन असली समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है।'

लोगों का कहना है कि अगर जल्द ही उनकी परेशानियों का हल नहीं निकला तो वे उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। बता दे कि मुख्यमंत्री की इस यात्रा का मकसद प्रदेश में विकास कार्यों की समीक्षा करना था, लेकिन दलित बस्ती के इस विरोध ने प्रशासन की पोल खोल कर रख दी।

गौरतलब हो कि जिस जनता के वोट से चुनकर कुर्सी तक पहुंचने वाले नेता जनप्रिय नहीं होंगे लोगों की समस्याओं से अवगत होना पसंद नहीं करेंगे सुरक्षा घेरे के बीच रहकर वीआईपी कल्चर को मेंटेन करेंगे तो यह सब समस्याएं होनी ही है पहले के जनप्रतिनिधि लगातार अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से लोगों के बीच अपनी पकड़ बनाकर रखते थे वही लोग उनके पहुंचते ही बिना किसी हिचक के अपनी समस्याओं को उन तक रख सकते थे और वे लोग अपनी जनता की समस्या को दूर भी करने का प्रयास करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है जिसके कारण आम लोगों और जनप्रतिनिधियों के बीच एक दूरी सी बन गई है कार्यकर्ता लोग भी अपनी ही कार्यों को लेकर बड़े नेताओं से संपर्क बनाए रहते हैं आम लोगों की समस्याओं को  अपने नेताओं तक नहीं पहुंचाते हैं जबकि सच्चाई यही है कि इनलोगों को जनता इसीलिए चुनती है कि यह लोग उनकी समस्याओं को सुने और त्वरित रूप से इसका निष्पादन करें लेकिन अभी का परिवेश बिल्कुल बदल चुका है जिसका खामियाजा  इन्हीं लोगों को भुगतना पड़ता है इसमें सुधार की आवश्यकता है


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