प्रयागराज से ट्रेन खोलकर बक्सर रेलवे स्टेशन पर सेवा समाप्त कर दिए जाने के कारण बेकाबू हो रही बक्सर में भीड़, कर्मचारियों पर मंडराता रहता है खतरा
रेलवे प्रशासन खेल रहा खेल, बिहार सरकार की प्रतिष्ठा खतरे में, प्रतिदिन मारामारी का बन रहा है जुगाड , सरकार ले संज्ञान
राजन मिश्रा/महावीर सिंह
बक्सर - प्रयागराज महाकुंभ में स्नान के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने बिहार-यूपी की सीमा पर स्थित बक्सर रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल बना दिया है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रतिदिन यात्रियों के बीच ट्रेन में चढ़ने को लेकर मारपीट की नौबत को साफ देखा जा सकता है की ट्रेन में चढ़ने के लिए कैसे एक दूसरे पर लात घूंसा की बरसात कर रहे है। जिसमें कभी-कभी आरपीएफ को बीच-बचाव करना पड़ता है ज्यादातर तो आरपीएफ के लोग कभी कदार ही दिखाई देते हैं अक्सर टीटी रूम और पूछताछ के लोगों को ही समस्या झेलना पड़ता है प्रतिदिन समस्या जटिल होते जा रही है समस्या कम होते नजर नहीं आ रही है समस्या इतनी गंभीर है कि स्टेशन पर कार्य कर राहे कर्मचारी डर के साए में काम करने को मजबूर हैं इसके पीछे रेलवे की दोहरी नीति काम कर रही है रेलवे के लोगों द्वारा प्रयागराज में भीड़ कम करने के नाम पर वहां से स्पेशल गाड़ियों को पटना, भागलपुर, हावड़ा के नाम पर खोल दिया जाता है और उस ट्रेन को बक्सर मे लाकर समाप्त कर दिया जाता है जिससे आगे जाने वाले यात्री भी इसी स्टेशन पर उतर जाते हैं और रेगुलर ट्रेनों से जाने के फेर में यहां इतनी भीड़ हो जाती है कि वैध टिकट कटाये यात्री भीड़ के कारण ट्रेन में चल नहीं पाते हैं और जब ट्रेन चली जाती है तो अपना गुस्सा यहां कार्य कर रहे कर्मचारियों पर निकलते हैं अपना पूरा पैसा रिफंड मांगने की बात करते हैं जबकि ऐसा कोई प्रावधान रेलवे ने नहीं बनाया है उत्तर प्रदेश से गाड़ियों को खोलकर बिहार में भीड़ को छोड़ देना यार रेलवे की कोई चाल ही है प्रतिदिन मारामारी और लफड़े से बक्सर रेलवे स्टेशन बदनाम हो रहा है इसमें बिहार सरकार की भी बदनामी हो रही है आखिर ट्रेन को पटना भागलपुर और हावड़ा जैसे बड़े स्टेशन पर नहीं लगा कर बक्सर जैसे छोटे स्टेशन पर टर्मिनेट कर दिया जाना कहा की बुद्धिमानी है इसी कम में बीते शुक्रवार को स्टेशन पर हालात तब और बिगड़ गए जब पटना से प्रयागराज जा रही एक ट्रेन में किसी ने चेन पुलिंग कर दी। थ्रू लाइन पर ट्रेन रुकते ही श्रद्धालु अपनी जान जोखिम में डालकर प्लेटफॉर्म से कूदकर ट्रैक पार कर ट्रेन में चढ़ने की कोशिश करने लगे। बड़ी दुर्घटना टल गई क्योंकि उस समय कोई दूसरी ट्रेन नहीं आ रही थी।
सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात आरपीएफ और जीआरपी के जवानों के लिए भीड़ को नियंत्रित करना बड़ी चुनौती बन गया है अभी अलग भी भगवान भरोसे ही प्रतिदिन ड्यूटी का निर्वाह कर रहे हैं एसी बोगी के दरवाजे बंद होने से श्रद्धालुओं में आक्रोश बढ़ जाता है सुरक्षाकर्मियों ने दरवाजों पर लटके यात्रियों को उतारने और अंदर जाने की अपील करते रहते हैं लेकिन कोच में इतनी भीड़ रहती हैं कि लोग दरवाजों पर लटके रहते हैं और ट्रेन इसी स्थिति में आगे बढ़ते रहती है भीड़ के कारण सैकड़ों लोगों को बिना ट्रेन पकड़े वापस लौटना पड़ रहा है वहीं दूसरी और प्रतिदिन दुर्घटनाएं भी हो रही है
गौरतलब हो कि रेल प्रशासन को जब प्रयागराज से गाड़ी खोलना है तो जिस गंतव्य स्थान के लिए गाड़ी खोला गया है वहां तक ले जाना चाहिए नहीं की बीच रेलवे स्टेशन यात्रियों को उतार दिया जाए रेल परिचालन के प्रशासनिक लोग इसकी टोपी उसके सिर करते दिख रहे हैं और राजनीतिक लोग महाकुंभ के नाम पर अपना छवि बनाने का कोशिश कर रहे हैं यह सब बंद होना चाहिए आम लोगों को मोहरा बनाकर राज करना बंद करें सरकार इससे लोगों का दैनिक दिनचर्या पूरी तरह से बिगड़ चुका है और कार्य करनेवाले कर्मचारी भी नको दम सह रहे हैं ऐसे कृत्यों पर तत्काल रोक लगना चाहिए ताकि लोगों को राहत मिल सके
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