बक्सर की प्रमुख खबरें

 

मंगलवार , 04 मार्च 2025

राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस  कार्यक्रम


राजन मिश्रा / हिमांशु शुक्ला 

बक्सर - मंगलवार को जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल द्वारा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर बुनियादी विद्यालय में स्कूली बच्चों को अल्बेंडाजोल की दवा खिलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

जिले के एक से 19 साल तक के 10,40,400 बच्चों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की गोली

मौके पर डीएम ने कहा कि बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए उनमें कृमि को खत्म करना जरूरी है। ये कृमि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं। कई मामलों में बच्चों में एनीमिया कृमि के कारण ही देखी गई है। इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि कृमि से मुक्ति ही बच्चों का एनीमिया से बचाव करेगा। इस बार राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस पर जिले के सभी विद्यालयों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों पर एक साल से अधिक एवं 19 साल आयु वर्ग तक के बच्चे एवं किशोर/किशोरियों को कृमि से मुक्ति के लिए अल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जाएगी। इसके लिए जिले के 1262 सरकारी विद्यालय, 293 प्राइवेट विद्यालय एवं सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 10,40,400 (10 लाख 40 हजार 400) बच्चों एवं किशोर/किशोरियों को लक्षित किया गया है। बच्चों को दवाओं का सेवन कराते हुए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे अल्बेंडाजोल की गोली को चूर कर या चबाकर खाएं। इससे दवा गले में न अटके। साथ ही, बच्चों को दवा खिलाने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लें कि उन्होंने पहले नाश्ता अनिवार्य रूप से किया हो।

सिविल सर्जन ने बताया कि कृमि संक्रमण से अनेक बीमारियों में प्रमुख एनीमिया, मानसिक एवं शारीरिक विकास में बाधक है। दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी एवं भूख नहीं लगना इसके प्रमुख लक्षण है। हर वर्ष यह कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इसके सफल संचालन के लिए स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और आईसीडीएस विभाग के समन्वय से अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कृमि रोग लगने से बच्चों के जीवन पर कई बड़े हानिकारक प्रभाव भी पड़ते हैं। कृमि रोग लगने से बच्चों के शरीर में थकावट ज्यादा रहती है और पढ़ाई में उनका मन भी नहीं लग पाता है। इसलिए इस रोग से बचने के लिए बच्चों को कभी खुले में शौच नहीं जाने दें, कुछ भी खाने से पहले हाथ धोएं, खाना ढका हुआ ही खाएं और साफ पानी पिएं। कृमि के कारण स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में कमी आती है। जिसको देखते हुए सरकार के निर्देश पर बच्चों के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाता है।

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी बक्सर ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष की आयु के सभी पूर्व स्कूली और स्कूल आयु वर्ग के बच्चों को उनके समग्र स्वास्थ्य, पोषण संबंधी स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कृमि मुक्त करना है। अलग अलग उम्र के बच्चों को अलग अलग विधि से दवाओं का सेवन कराना है। उन्होंने बताया कि एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली पीसकर व पानी में घोलकर पिलाना है। वहीं, दो से 19 साल के बच्चों को अल्बेंडाजोल की एक गोली चबाकर खाने के बाद पानी पीना है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन गोलियों को किसी भी बच्चे को खाली पेट नहीं खिलानी है। उन्होंने बताया कि कई मामलों में दवाओं का सेवन करने के बाद बच्चों को उल्टी, मितली या चक्कर जैसे लक्षण दिखेंगे। जो उनमें कृमि की मौजूदगी के कारण होती है। इसलिए घबराने की बात नहीं है। यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित है।


कर्तव्य मे लापरवाही को लेकर पुलिस कप्तान ने किया तीन को निलंबित

राजन मिश्रा / हिमांशु शुक्ला 

बक्सर - पुलिस कप्तान शुभम आर्य ने कर्तव्य के प्रति लापरवाह तीन पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबन के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है।

पुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले के तिलक राय हाता ओपी के थानाध्यक्ष लालाबाबू सिंह को कर्तव्य के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया है। दूसरी तरफ यातायात थाना में तैनात दारोगा दीपक कुमार एवं एसआई नरेश कुमार चौधरी को भी कर्तव्य के प्रति लापरवाह पाए जाने पर एसपी ने निलंबित कर दिया है। एसपी के कार्रवाई के बाद विभाग में हड़कंप मच गया।

डुमरांव में बंदर पकड़ने का अभियान शुरू, लोगों में राहत 


राजन मिश्रा /दीपक चौबे 

बक्सर - डुमराँव  नगर परिषद क्षेत्र में लंबे समय से बंदरों के आतंक से परेशान स्थानीय लोगों को अब राहत मिलने वाली है. नगर प्रशासन ने बंदरों को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया है. अनुमंडल अस्पताल सहित कई इलाकों में बंदरों के उत्पात से लोग त्रस्त थे. नगर परिषद क्षेत्र में बंदरों की संख्या बढ़ने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. बंदर घरों में घुसकर अनाज और फल-सब्जियां उठा ले जाते थे, बच्चों और बुजुर्गों पर हमला कर देते थे, जिससे लोग भयभीत थे. अनुमंडल अस्पताल परिसर में भी बंदरों का झुंड मरीजों और कर्मचारियों के लिए मुसीबत बना हुआ था. 

नगर परिषद सभापति सुनीता गुप्ता व प्रतिनिधि सुमित गुप्ता ने बताया कि स्थानीय लोगों की शिकायत पर नगर परिषद ने बंदरों को पकड़ने के लिए विशेष टीम लगाई है. प्रशिक्षित कर्मियों की सहायता से बंदरों को सुरक्षित तरीके से पकड़कर जंगल में छोड़ा जायेगा. प्रशासन ने लोगों से सहयोग की अपील की है और बंदरों को उकसाने या मारने से बचने की सलाह दी है. बंदर पकड़ने के अभियान की शुरुआत होते ही लोगों ने राहत की सांस ली है. स्थानीय लोगों ने कहा, बंदरों के डर से घर की छत पर जाना मुश्किल हो गया था. प्रशासन की इस पहल से अब राहत मिलेगी.  

वहीं, अनुमंडल अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि बंदरों की वजह से मरीजों को काफी परेशानी होती थी, यह अभियान मरीजों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. बता दें कि अनुमंडल अस्पताल में सुरक्षाकर्मीयो  को जख्मी कर दिया था.  प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अभियान के दौरान किसी भी बंदर को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, बल्कि उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ा जायेगा.

फांसी लगाकर आत्महत्या, परेशानियों के सामने हार गई जिंदगी

संजय शुक्ला / हिमांशु शक्ला

बक्सर - डुमरांव नगर थाना क्षेत्र के जवाहर मंदिर इलाके में एक व्यक्ति ने पंखे में धोती का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली

सूचना पर पहुंची पुलिस  ने शव को फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. प्रथम दृष्टया जांच में कर्ज से परेशान होने की बात सामने आई है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

मृतक की पहचान प्लाई  व्यवसायी सुनील कुमार चौरसिया (55) के रूप में हुई है. हालांकि स्थानीय सूत्रों की माने तो मृतक पर कर्ज था, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान रहा करते थे. आशंका जताई जा रही है कि इसी कारण उन्होंने आत्महत्या की होगी. वहीं, मृतक के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि तीन साल पहले उनकी पत्नी का निधन कैंसर से हो गया था, जिसके बाद वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे. हालांकि, वे इतना बड़ा कदम उठा लेंगे, इसकी कल्पना परिवार को नहीं थी.

एफएसएल टीम को भी जांच के लिए बुलाया गया है, जिसने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए हैं. पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है कि कहीं यह आत्महत्या के अलावा कोई अन्य कारण से तो नहीं जुड़ा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, सुनील कुमार चौरसिया सरल स्वभाव के व्यक्ति थे और प्लाई का व्यवसाय करते थे निश्चित तौर पर उनके साथ कोई बड़ी परेशानी रही होगी अब आगे यह देखना है कि पुलिस कितने दिनों में अनुसंधान के बाद इस मामले को सुलझा पाती है 



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