बक्सर स्टेशन पर टिकट चेकिंग के दौरान काटा बवाल, बाहर से पहुंचे थे टिकट बाबू
कोई भी यात्री आराम से नहीं बनवाना चाहता टिकट, फाइन के साथ टिकट बनवाने से पहले करते रहते हैं बवाल , नियमों को करना होगा और सख्त
बक्सर - रेलवे द्वारा इन दिनों टिकट चेकिंग को लेकर तरह तरीकों के हथकंडे अपने जा रहे है जो कई लोगों को रास नहीं आ रहे हैं इसमें सबसे ज्यादा परेशान टिकट चेकिंग करने वाले टिकट बाबू हो रहे है आए दिन ही इनको बदनाम करने की कोशिश होते रहती है सबसे बड़ी विडंबना यह है कि रेलवे के चेकिंग के आदेश को देने वाले भी कभी-कभी पैरवीकारो के आगे घुटने टेक देते हैं और इसमें अकिंचन कर्मचारी टिकट बाबूओ को मातहतों के कोप भाजन का शिकार होना पड़ता हैं बीते दिनों भी आरा रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसा ही कृत एक पैरविकार ने किया था जिस पर आक्रोशित होकर सीनियर डीसीएम द्वारा दो टिकट बाबू को तत्काल निलंबित कर दिया गया था लेकिन पटना एक्सप्रेस द्वारा प्रमुखता से अधिकारियों के बीच सच्चाई लाने के बाद दोनों टिकट बाबुओं का सस्पेंशन खत्म किया गया बावजूद इसके दो टिकट बाबुओं को वेतन संबंधी नुकसान भी बिना किसी गलती के उठाना पड़ा इस विभाग में बिना गलती देखे हुए सजा देने का प्रावधान बिल्कुल गलत है बीते शुक्रवार को भी बक्सर के रेलवे स्टेशन पर कुछ लोगों द्वारा बवाल काटा गया जिसके पीछे उन लोगों के पास वैथ टिकट का नहीं होना था और रेल पदाधिकारियों द्वारा 'लाल गाड़ी' चेकिंग स्पेशल गाड़ी को लेकर स्टेशन के तमाम टिकट बाबूओ से चेकिंग कराया जा रहा था इसी दौरान चेकिंग करते आरा तरफ से आए कुछ चेकिंग स्टाफ द्वारा अवैध टिकट पर यात्रा कर रहे कुछ लोगों को पकड़ा गया जिसको लेकर कुछ लोगों द्वारा विरोध किया गया जिसकी एक वीडियो भी वायरल हुई इस मामले पर पड़ताल में पता चला कि लालगाड़ी आने के बाद बक्सर स्टेशन के सभी टिकट बाबू अपने-अपने कार्यों को लेकर आनेवाले गाड़ियोंके बीच बिखर गए इसी दौरान आरा से आए कुछ टिकट बाबू लोगों के साथ उलझ कर टीसी ऑफिस में पहुंच गए इसके बाद कुछ हल्का विवाद लोगों के साथ हुआ जिसके पीछे कोई बड़ा कारण नहीं दिखा
गौरतलब हो कि आमतौर पर आम लोग टिकट बाबू या यू कहे कि पुलिस से जुड़े लोगों पर मौका मिलते ही अपना खूननस निकालते हैं जबकि इनकी कोई गलती होती नहीं है लेकिन लोग मौका का फायदा उठाना नहीं छोड़ते इसी क्रम में कुछ लोगों ने वीडियो में बिना मतलब भी ऐसे अधिकारियों को बोलते नजर आते हैं वहीं टिकट बाबूओ का कहना है कि हम लोगों को ड्यूटी बहुत टाइट दे दी जाती है वह भी पब्लिक डीलिंग का काम है लेकिन पावर कुछ भी नहीं रहता ऐसे मे सडक पर घूमने वाले भी बोलकर निकल जाते है बिहार सरकार में प्रतिदिन नौकरी करने वाली लेडिज शिक्षक आए दिन जनरल टिकट लेकर एसी में यात्रा करती हैं पकड़े जाने पर टिकट बाबू पर ही लंबे चौड़े आरोप लगाने लगती है, वहीं दूसरी तरफ रेलवे कंप्लेंट को लेकर टिकट बाबू पेशोपेश में रहते हैं ऐसे में रेलवे के नियमों को सख्त करना होगा ताकि आने जाने वाले कोई भी हो आम हो या खास हो इन पर पूरी करवाई हो सके साथ ही यह भी व्यवस्था रखने चाहिए की सही तरीके से ड्यूटी करने वाले लोगों को पैर विकारों के बल पर परेशान करने की व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो जाए टिकट बाबू यदि भय के साए में नौकरी का निर्वहन करेंगे तो राजस्व कभी भी ऊपर जाने का नाम नहीं लेगा उच्च अधिकारियों को संज्ञान लेना होगा और टिकट बाबुओं के संरक्षण में कोई विशेष नियम बनाने होंगे ताकि रेलवे का विस्तार निरंतर होता रहे
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